Previous image
Next image
सिद्धांत
“अहंकार से प्रभु नहीं मिलते चाहे कोई भी साधन करिए दीनता को तो अपनाना ही होगा”
गुरु अमृत वाणी
Slide 1
नैमत ( प्रभु की देन ) का शुक्रिया यह है कि, उसका उचित प्रयोग किया जाए और वह उचित प्रयोग यह है कि ऐसे कर्मो का त्याग कर दे, जिनसे प्रभु कि देन में गिरावट आती हो
Slide 2
एक प्रेम के नाते को छोड़कर मै और किसी नाते को नहीं जानता केवल प्रेम और वह भी निस्वार्थ प्रेम जो लोग बिना अपने स्वार्थ के मुझे प्रेम करते है चाहे वे सज्जन है या दुष्ट, मै उन्हें प्रेम करता हूँ वे मेरे है और मै उनका वे सदैव मुझ पर आश्रित रह सकते है और वे देखंगे कि मै सदैव उनकी सेवा के लिए प्रस्तुत हूँ
Slide 3
अहंकार से प्रभु नहीं मिलते चाहे कोई भी साधन करिए दीनता को तो अपनाना ही होगा