नैमत ( प्रभु की देन ) का शुक्रिया यह है कि, उसका उचित प्रयोग किया जाए और वह उचित प्रयोग यह है कि ऐसे कर्मो का त्याग कर दे, जिनसे प्रभु कि देन में गिरावट आती हो
महात्मा श्री कृष्ण लाल जी महाराज
सिकंराबाद (उ. प्र.)
अवतरण : 15-10-1894
निर्वाण : 18-5-1970
एक प्रेम के नाते को छोड़कर मै और किसी नाते को नहीं जानता केवल प्रेम और वह भी निस्वार्थ प्रेम जो लोग बिना अपने स्वार्थ के मुझे प्रेम करते है चाहे वे सज्जन है या दुष्ट, मै उन्हें प्रेम करता हूँ वे मेरे है और मै उनका वे सदैव मुझ पर आश्रित रह सकते है और वे देखंगे कि मै सदैव उनकी सेवा के लिए प्रस्तुत हूँ
परम संत डॉ करतार सिंह जी साहब
गाज़ियाबाद (उ. प्र.)
अवतरण : 13-06-1912
निर्वाण : 15-06-2012
अहंकार से प्रभु नहीं मिलते चाहे कोई भी साधन करिए दीनता को तो अपनाना ही होगा